मेरे मालिक शर्म यह लगती, मुझसे ही यह क्यों होता है। मेरे मालिक शर्म यह लगती, मुझसे ही यह क्यों होता है।
बुद्धि, विवेक पर डालकर प्रकाश हमें पाठको के समक्ष प्रस्तुत करती है। बुद्धि, विवेक पर डालकर प्रकाश हमें पाठको के समक्ष प्रस्तुत करती है।
बिन तेरे जीवन सूना सूना है, हर सुविधा मेरी हँसी उड़ाती है। बिन तेरे जीवन सूना सूना है, हर सुविधा मेरी हँसी उड़ाती है।
प्रेम सुधा की बातें करते , पर सबसे तुम जलते रहते, घृणा सत्य है तुमको बंधू , निंदा पर हीं तुम तो फ... प्रेम सुधा की बातें करते , पर सबसे तुम जलते रहते, घृणा सत्य है तुमको बंधू , न...
दर्द कभी बाँटती नहीं अपने, कोरों में दबा अश्कों को मुस्कुराती रहती है। दर्द कभी बाँटती नहीं अपने, कोरों में दबा अश्कों को मुस्कुराती रहती है।
भूली बिसरी यादों को मन की परतों में रम जाने दो। भूली बिसरी यादों को मन की परतों में रम जाने दो।